तस्वीर दैनिक कहानी प्रतियोगिता-24-Sep-2023
तस्वीर
चारों तरफ घुप्प अंधेरा, और सूनसान घना जंगल सांय सांय.. पत्तों की आवाज के बीच अंधेरे को चीरती एक कार एक वृक्ष से टकरा गई।
कार की पीछे की सीट पर बैठी तन्वी अपने पाँच साल की बेटी को गोदी में सुलाए डर से कांप रही थी। अचानक हुए इस टक्कर से उसके पति मानव का सिर स्टेयरिंग पर जा लगा। जिससे खून की धार बहने लगी।वो खून से लथपथ हो गया ।
तन्वी की बेटी सिया जो खेलते हुए अपनी छत से गिर गई थी,उसे ही शहर के बड़े अस्पताल में ले गए थे जहां उसकी जान तो बच गई पर पैर में फ्रैक्चर हो गया था।
अस्पताल में एक उम्रदराज महिला ने तन्वी से कहा था," बिटिया शाम को उस जंगल के पास वाले रास्ते से मत जाना हो सके तो कल सुबह चली जाना, बच्ची को लेकर। रात को वहां नकारात्मक शक्तियां प्रबल रहती हैं और सुना है उस जंगल में रहने वाली आत्माएं किसी को जीवित नहीं छोड़ती।"
मानव ने हंसकर कहा था,"अम्मा जी अपनी गाड़ी है, चिंता की क्या बात।मैं तो पूरी रात ड्राइविंग कर सकता हूं। मुझे अंधेरे से डर नहीं लगता, और ना ही मैं किसी नकारात्मक शक्ति पर विश्वास करता हूं।भूत प्रेत सिर्फ कहानियों में होते हैं वास्तविक जीवन में उनका कोई औचित्य नहीं है।"
"बेटा जैसी तुम्हारी मर्जी पर एक रात यहां अस्पताल में ही बिता लो तुम तीनों और सुबह सवेरे अपने घर के लिए निकल जाना।"
"नहीं अम्मा जी यहां अस्पताल वाले एक रात का खर्चा और बढ़ा देंगे। बेटी का ईलाज हो गया,वो ठीक है।घर पर अच्छे से आराम करेगी। कोई परेशानी अगर हुई तो हम आ जाएंगे डॉक्टर को दिखलाने।"
तन्वी ने भी रिक्वेस्ट करते हुए मानव से कहा था," जी रुक जाते हैं ना,अगर अम्मा जी कह रहीं हैं तो इसमें सच्चाई ही होगी। इन्हें हमसे अधिक तजुर्बा है। हम तो इस तरफ पहली बार ही आए हैं।वैसे भी वो जंगल बहुत घना है, जिस रास्ते से हम आए थे। दोनों तरफ जंगल ही दिख रहा था।"
अम्मा ने बताया,
"मेरा बेटा भारतीय सेना में था, छुट्टियों में आने का वादा किया था और हम उसके आने का इंतजार करते ही रहे। उसके दोस्तों से और बड़े अफसर लोगों से बात करने पर पता चला था वो घर आने के लिए अपना समान लेकर निकल गया था।
पर छुट्टियां खत्म हुई और उसने आकर ड्यूटी ज्वाइन नहीं की।
सबने उसको खूब ढूंढा, सैना और पुलिस कर्मियों ने जमीन आसमान एक कर दिया पर पिछले बीस साल से उसका कुछ पता नहीं है। हो ना हो यह जंगल ही मेरे बेटे को खा गया...".. और अम्मा रोने लगी।
मानव ने तन्वी को समझाया," ये लोग ऐसे ही मनगढ़ंत कहानियां सुनाते हैं जिससे लोगों से पैसा किसी ना किसी बहाने से हड़प सके।"
अचानक जोर दार झटके के कारण सिया के पैर में दर्द बढ़ गया और वो दर्द से चिल्ला रही थी... मम्मा... डैडा...ऊईईईई...
सफेद प्लास्टर लाल हो रहा था।सिया के पैर से काफी खून बह रहा था। तन्वी को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे।
मानव स्टेयरिंग पर खून से लथपथ बेहोश पड़ा था और सिया उसकी गोद में सिर रख अपने पैर से बहते खून को देख और तेज दर्द के कारण रो रही थी।
ऐसी हालत में वो अपनी बेटी और पति को कैसे संभाले। चारों तरफ अंधेरा घुप्प था बस गाड़ी के अंदर हल्की सी रोशनी थी। कहीं किसी से मदद की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। अपने बैग से मोबाइल निकाला जो स्विच ऑफ हो गया था। वो थरथराती आवाज में.. मानव आप ठीक हैं.. बोलिए.. बोलिए ना.. कुछ तो बोलिए..
सिया चुप हो जा बेटा.. मत रो.. डैडा सब ठीक कर देंगे..हम जल्दी घर पहुंच जाएंगे..
मम्मा बहुत दुख रहा है.. खून देखो खून... और वो तन्वी के दुप्पटे से अपना चेहरा ढककर सुबकने लगती है...
ऑल माई मिस्टेक...
"नहीं बेटा तेरी कोई गलती नहीं है..
हमने ही उस अम्मा की बात नहीं मानी।"
कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी गाड़ी से बाहर निकल मानव को और सिया को बचाने की,अगर गाड़ी से बाहर निकल भी गई तो यहां जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे।गाड़ी बड़े से पीपल के पेड़ से टकराईं थी जिससे आगे का सीसा चकनाचूर हो गया था।
वहां कोई था... जो दूसरों को मुसीबत में नहीं देख सकता था।जिसका जीवन देश की रक्षा और गद्दारों से लड़ते हुए ही खत्म हो गया था इसी घने जंगल में बीस साल पहले..
सिया ने अपने पैर में हो रहे दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करते हुए जै हिंद, वन्दे मातरम,जय भारत माता बोलना शुरू कर दिया। पिछले हफ्ते ही उसे स्कूल में पन्द्रह अगस्त की तैयारी में सिखाया जा रहा था,जिसका वो हमेशा अभ्यास करती परेड करते हुए जै भारत माता बोलती.., वैसे में ही तो वो छत पर से गिरी थी।
उस बच्ची की प्रार्थना में शक्ति थी।
अचानक तन्वी ने महसूस किया उनकी कार को किसी ने धक्का दिया और कोई कार का आगे का दरवाजा खोल मानव को सीधा कर वहीं रखे फर्स्ट एड बॉक्स से रुई और डिटोल... हां तन्वी के नथुनों में ये डिटोल की ही गंध महसूस हो रही थी... क....क... कौन..
बस इतना ही बोल पाई थी और वो बेहोश हो गई।
थोड़ी देर बाद जब होश आया उसने खुद को अस्पताल में पाया।मानव भी साथ वाले बिस्तर पर था और तन्वी बिस्तर पर लेटी एक
घायल सैनिक की तस्वीर बना रही थी।
अम्मा वहीं बैठी अपने बेटे की राह देख रही थी।
समाप्त
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कविता झा'काव्य 'अविका''
# लेखनी
#दैनिक कहानी प्रतियोगिता
kashish
26-Sep-2023 10:16 PM
V nice
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Gunjan Kamal
25-Sep-2023 06:05 AM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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